नई दिल्ली | मोती ( Pearl ) का निर्माण घोंघा नामक जन्तु से होता है। जिसे मॉलस्क ( Mollusca ) कहते हैं, अपने शरीर से निकलने वाले एक चिकने तरल पदार्थ द्वारा अपने घर का निर्माण करता है। घोंघे के घर को सीपी कहते हैं। इसके अन्दर वह अपने शत्रुओं से भी सुरक्षित रहता है। घोंघों की हजारों किस्में हैं और उनके शेल भी विभिन्न रंगों जैसे गुलाबी, लाल, पीले, नारंगी, भूरे और अन्य और भी रंगों के होते हैं और ये बहुत ही ज्यादा आकर्षक होते हैं। World news in Hindi Samachar घोंघों की मोती बनाने वाली किस्म बाइवाल्वज कहलाती है इसमें से भी ओएस्टर घोंघा सर्वाधिक मोती बनाता है। मोती बनाना भी एक मजेदार प्रक्रिया है। वायु, जल और भोजन की आवश्यकता पूर्ति के लिए कभी-कभी घोंघे जब अपने शेल के द्वार खोलते हैं तो कुछ विजातीय पदार्थ जैसे रेत कण कीड़े-मकोड़े आदि उस खुले मुंह में प्रवेश कर जाते हैं। घोंघा अपनी त्वचा से निकलने वाले चिकने तरल पदार्थ द्वारा उस विजातीय पदार्थ पर परतें चढ़ाने लगता है। सबसे कीमती मोती का निर्माण सबसे कीमती मोती जंगल में खुद-ब-खुद ही उत्पन्न होते हैं लेकिन यह अत्यंत दुर्लभहोते हैं। इन जंगली मोत
Medhaj News नई दिल्ली | बुद्ध पूर्णिमा ( Buddha Purnima ) के दिन आज 80 साल बाद चंद्रग्रहण ( Lunar Eclipse ) लगा है। लेकिन भारत में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हिंदू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा का खास महत्व है। वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ( Lord Buddha ) का जन्म हुआ था। इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था। 563 ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म लुंबिनी, शाक्य राज्य ( नेपाल ) में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही 483 ई. पू. में 80 वर्ष की आयु में 'कुशनारा' में में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। वर्तमान समय का कुशीनगर ( Kushinagar ) ही उस समय 'कुशनारा' था। भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण ये तीनों वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे। इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी। आज बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में 180 करोड़ से अधिक लोग है और इसे धूमधाम से मनाते हैं। हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं। अतः हिन्दुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है। यह त्यौहा