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Pearl: जंगल में ऐसे बनती है सबसे कीमती मोती, जानें Gonut Pearls की खासियत

World news in Hindi Samachar

 नई दिल्ली | मोती ( Pearl ) का निर्माण घोंघा नामक जन्तु से होता है। जिसे मॉलस्क ( Mollusca ) कहते हैं, अपने शरीर से निकलने वाले एक चिकने तरल पदार्थ द्वारा अपने घर का निर्माण करता है। घोंघे के घर को सीपी कहते हैं। इसके अन्दर वह अपने शत्रुओं से भी सुरक्षित रहता है। घोंघों की हजारों किस्में हैं और उनके शेल भी विभिन्न रंगों जैसे गुलाबी, लाल, पीले, नारंगी, भूरे और अन्य और भी रंगों के होते हैं और ये बहुत ही ज्यादा आकर्षक होते हैं। World news in Hindi Samachar

घोंघों की मोती बनाने वाली किस्म बाइवाल्वज कहलाती है इसमें से भी ओएस्टर घोंघा सर्वाधिक मोती बनाता है। मोती बनाना भी एक मजेदार प्रक्रिया है। वायु, जल और भोजन की आवश्यकता पूर्ति के लिए कभी-कभी घोंघे जब अपने शेल के द्वार खोलते हैं तो कुछ विजातीय पदार्थ जैसे रेत कण कीड़े-मकोड़े आदि उस खुले मुंह में प्रवेश कर जाते हैं। घोंघा अपनी त्वचा से निकलने वाले चिकने तरल पदार्थ द्वारा उस विजातीय पदार्थ पर परतें चढ़ाने लगता है।

सबसे कीमती मोती का निर्माण

सबसे कीमती मोती जंगल में खुद-ब-खुद ही उत्पन्न होते हैं लेकिन यह अत्यंत दुर्लभहोते हैं। इन जंगली मोतियों को प्राकृतिक मोती कहा जाता है। मोती सीप और मीठे पानी के शंबुक से संवर्धित या फार्मी मोती ही वर्तमान में सबसे अधिक बेचे जाते हैं।

मोती 3 के प्रकार के होते हैं-

(1) केवीटी ( Kvt Pearls ) मोती- सीप के अंदर ऑपरेशन के जरिए फारेन बॉडी डालकर मोती तैयार किया जाता है। इसका इस्तेमाल अंगूठी और लॉकेट बनाने में होता है। चमकदार होने के कारण एक मोती की कीमत हजारों रुपए में होती है। विश्व समाचार

(2) गोनट ( Gonut Pearls ) मोती- इसमें प्राकृतिक रूप से गोल आकार का मोती तैयार होता है। मोती चमकदार व सुंदर होता है। एक मोती की कीमत आकार और चमक के अनुसार 1 हजार से 50 हजार तक होती है।

(3) मेंटलटीसू ( Mentaltsu Pearls ) मोती- इसमें सीप के अंदर सीप की बॉडी का हिस्सा ही डाला जाता है। इस मोती का उपयोग खाने के पदार्थों जैसे मोती भस्म, च्यवनप्राश और टॉनिक बनाने में होता है। बाजार में इसकी सबसे ज्यादा मांग है।

देशों में मोतियों की बढ़ती मांग 

भारत समेत अनेक देशों में मोतियों की मांग बढ़ती जा रही है, लेकिन दोहन और प्रदूषण से इनका उत्पादन घटता जा रहा है। अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार से हर साल मोतियों का बड़ी मात्रा में आयात करता है। वास्तव में हमारे देश में विशाल समुद्रिय तटों के साथ ढेरों सदानीरा नदियां, झरने और तालाब मौजूद है। इनमें मछली पालन अलावा हमारे बेरोजगार युवा और किसान अब मोती पालन कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है। Latest World News

लेखनी- आशा गौतम

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